World Hindi Day 2025: 'लापता लेडीज' की अभिनेत्री नितांशी गोयल का हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने पर विचार: मेरे लिए हिंदी मेरा घर है
1/10/2025
विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर, नितांशी गोयल इस बारे में बात करती हैं कि यह भाषा उन्हें प्रामाणिक बनाए रखने में कैसे मदद करती है और वह इसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की क्या योजना रखती हैं।
अभिनेत्री नितांशी गोयल के लिए, हिंदी फिल्म अभिनेत्री कहलाना अपार खुशी और गर्व की बात है। विश्व हिंदी दिवस के मौके पर वह कहती हैं, "हिंदी फिल्म अभिनेत्री कहलाना मेरे दिल को गर्व और अपने देश तथा भाषा के प्रति प्रेम से भर देता है। जब मैं विदेश यात्रा करती हूं और किसी भारतीय को देखती हूं, तो मेरे मुंह से सबसे पहले 'नमस्ते' निकलता है, और यह एक गर्मजोशी भरा एहसास देता है। अचानक ऐसा लगता है कि वहां भी एक परिवार है, इसलिए यह भाषा अपने आप में खास है।"
अपनी इस भाषा से जुड़ाव के बारे में बताते हुए नितांशी कहती हैं, "हिंदी वह भाषा है, जो मुझे लाखों लोगों से जोड़ती है। यह वह भाषा है, जिसे हम सबसे पहले सीखते हैं। स्कूल में हिंदी दिवस मनाने के लिए हम (कवि) प्रेमचंद सर की कविताएं पढ़ते थे। तब से लेकर अब तक, जब भी मैं फिल्मों में हिंदी बोलती हूं, तो इससे मैं दर्शकों से बेहद जुड़ा हुआ महसूस करती हूं। इससे पूरी चीज़ को बहुत प्रामाणिक एहसास मिलता है। यह एक सुंदर भाषा है।" वह आगे कहती हैं, "हिंदी की विविधता जादुई है। यह कविता भी हो सकती है, स्मार्ट भी हो सकती है और यह आपके दिल की बात भी बयां कर सकती है। यह एक घरेलू एहसास देती है। मेरे लिए, हिंदी मेरा घर है।"
विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य इस भाषा की शक्ति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है, और 17 वर्षीय नितांशी इसे प्रचारित करने की पूरी कोशिश करती हैं। वह कहती हैं, "मैं भी जब बाहर जाती हूं, तो हिंदी में ही बात करना पसंद करती हूं। इतने शानदार कलाकार हैं, जो हिंदी का बेहतरीन तरीके से प्रतिनिधित्व करते हैं, चाहे वह अमिताभ बच्चन सर हों, पंकज त्रिपाठी सर हों या मनोज बाजपेयी सर। वे मानते हैं कि हिंदी की विरासत को आगे ले जाना हमारी ज़िम्मेदारी है। उनके काम की फैन होने के नाते, मैं उनकी इस सोच की सराहना करती हूं और जब भी मैं किसी वैश्विक मंच पर जाती हूं, तो हिंदी में बोलने की कोशिश करती हूं।"
नितांशी अपनी पसंदीदा हिंदी कहावत भी बताती हैं, जिससे वह खुद को प्रेरित रखती हैं:
"यूं ही नहीं मिल जाती राहों को मंज़िल, एक जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है।
एक दिन पूछा मैंने चिड़िया से कि कैसे बना आशियाना,
वो बोली भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार और तिनका-तिनका उठाना पड़ता है।"
भारत में अब भी कई लोग हिंदी को भेदभाव का आधार मानते हैं और इसे अंग्रेज़ी से कमतर समझते हैं। इस पर उनकी क्या राय है? इस पर नितांशी कहती हैं, "जो हिंदी अच्छे से बोलता है, उसकी इज़्ज़त वास्तव में ज़्यादा होती है। खासतौर पर आज के समय में यह बहुत प्रभावशाली है। जब मैं इंटरव्यूज़ में हिंदी में बात करती हूं, तो लोग हैरान रह जाते हैं। मुझे लगता है कि हिंदी में एक अलग तरह की मिठास होती है। जब मैं हिंदी में बात करती हूं, तो लोगों से बेहतर तरीके से जुड़ पाती हूं, और लोग भी मेरी भावनाओं को अधिक अच्छे से समझ पाते हैं।"
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