Nifty IT में 4.5% की भारी गिरावट, 6 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा – अमेरिका की आर्थिक मंदी की आशंका से आईटी सेक्टर में बिकवाली
3/1/2025


28 फरवरी को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिसमें आईटी सेक्टर में 4.50% की गिरावट दर्ज की गई।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर और बढ़ते व्यापार तनाव के कारण निवेशकों में चिंता बढ़ गई है, जिससे सभी प्रमुख आईटी कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
निफ्टी 50 और सेंसेक्स दोनों में आज 1.3% से अधिक की गिरावट देखी गई, जिसमें आईटी सेक्टर सबसे अधिक दबाव में रहा। निफ्टी आईटी इंडेक्स, जो शीर्ष 10 आईटी कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है, लगातार पांचवें सत्र में गिरावट दर्ज करते हुए 4.50% गिरकर 37,198 के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले 6 महीनों का सबसे निचला स्तर है।
यह गिरावट 17 अप्रैल 2023 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है, जब इंडेक्स में 4.71% की गिरावट आई थी।
टेक महिंद्रा, एमफैसिस और कोफोर्ज के शेयरों में 6% तक की गिरावट दर्ज की गई।
पर्सिस्टेंट सिस्टम्स, विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एलटीआईमाइंडट्री के शेयर 3% से 5% तक गिरे।
आईटी सेक्टर पर मंदी का दबाव – अमेरिका में आर्थिक सुस्ती और व्यापार तनाव बढ़ा
भारतीय आईटी कंपनियों का बड़ा बाजार अमेरिका है, जहां आर्थिक मंदी की आशंकाओं ने निवेशकों को बेचैन कर दिया है।
1. अमेरिका की आर्थिक मंदी के संकेत
अमेरिकी श्रम बाजार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 22 फरवरी को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दावों (Jobless Claims) की संख्या 22,000 बढ़कर 2,42,000 हो गई।
अमेरिकी जीडीपी (Q4 2024) 2.3% रही, जो पहले के अनुमान के अनुरूप थी, लेकिन मुद्रास्फीति (Inflation) में तेजी दर्ज की गई।
GDP प्राइस इंडेक्स 2.4% बढ़ा, जो पहले 2.2% था।
कोर PCE (Personal Consumption Expenditures) 2.7% बढ़ा, जो 2.5% के अनुमान से अधिक था।
2. ट्रंप की टैरिफ नीतियां और व्यापार युद्ध का खतरा
डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा पर नए टैरिफ 4 मार्च से लागू करने की घोषणा की।
चीन पर पहले से लगे 10% टैरिफ को 10% और बढ़ाने की धमकी दी।
यूरोपीय संघ से आयात पर 25% शुल्क लगाने की चेतावनी दी।
उपभोक्ता विश्वास (Consumer Sentiment) में गिरावट – मिशिगन विश्वविद्यालय का उपभोक्ता विश्वास सूचकांक फरवरी में 64.7 पर आ गया, जो 10% की गिरावट दर्शाता है।
पांच साल की मुद्रास्फीति उम्मीदें 3.5% तक पहुंच गईं, जो 1995 के बाद का उच्चतम स्तर है।
3. फेडरल रिजर्व और ब्याज दरों में कटौती पर असर
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने जनवरी में ब्याज दरों में कटौती को रोका, जिससे बाजार में चिंता बढ़ी।
मॉर्गन स्टेनली ने 2025 के लिए केवल एक 25 बेसिस प्वाइंट दर कटौती का अनुमान लगाया है।
निष्कर्ष
भारतीय आईटी सेक्टर पर अमेरिकी मंदी, बढ़ते व्यापार तनाव और ब्याज दरों की अनिश्चितता का दबाव बना हुआ है। अगर अमेरिका में आर्थिक मंदी गहराती है, तो आईटी कंपनियों की ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आने वाले हफ्तों में बाजार की दिशा अमेरिकी नीतियों और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगी।
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