Lohri 2025: जानें कब है लोहड़ी, शुभ मुहूर्त, इतिहास, महत्व, पूजा विधि, सामग्री और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
1/13/2025


लोहड़ी 2025: कृषि समृद्धि का उत्सव लोहड़ी हर साल 13 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाता है।
यह पंजाबी लोक त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे लोहड़ी, लोहरी, लोआड़ी या लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है। यह मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है और सर्दियों के अंत का प्रतीक है, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस त्योहार का केंद्र पवित्र अग्नि होती है, जो समृद्धि, उर्वरता और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है, खासतौर पर नवविवाहित जोड़ों और नवजात शिशुओं वाले परिवारों के लिए।
लोहड़ी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
हर साल 13 और 14 जनवरी को लोहड़ी का उत्सव मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है। इसका निर्धारण बिक्रम संवत कैलेंडर के आधार पर किया जाता है, जिसमें चंद्र और सौर चक्रों का समावेश होता है।
लोहड़ी 2025 की तारीख: सोमवार, 13 जनवरी 2025
लोहड़ी संक्रांति का शुभ मुहूर्त: 14 जनवरी 2025 को प्रातः 9:03 बजे (ड्रिक पंचांग के अनुसार)
लोहड़ी 2025 की पूजा सामग्री और अनुष्ठान
लोहड़ी की रात घरों के बाहर या खुले स्थानों पर लकड़ियों और उपलों से अग्नि जलाई जाती है, जिसे पवित्र माना जाता है। इस अग्नि में विभिन्न सामग्री अर्पित की जाती है, जिनमें शामिल हैं:
✅ तिल (Sesame Seeds)
✅ गुड़ (Jaggery)
✅ गजक (Gajak)
✅ रेवड़ी (Rewri)
✅ मूंगफली (Peanuts)
✅ मक्के के दाने (Popcorn)
लोग इस पवित्र अग्नि की परिक्रमा (Pradakshina) करते हुए उसमें उक्त वस्तुएं अर्पित करते हैं और भगवान अग्नि (Agni Dev) और सूर्य देव (Surya Dev) से प्रार्थना करते हैं कि आने वाला फसल चक्र समृद्ध और फलदायी हो।
लोहड़ी के अवसर पर पंजाबी भांगड़ा, गिद्दा और ढोल की धुनों पर लोग नृत्य करते हैं, जिससे यह पर्व और भी आनंदमय बन जाता है।
लोहड़ी 2025 का इतिहास और महत्व
लोहड़ी का इतिहास और महत्व कई लोक कथाओं और पारिवारिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं। यह मूल रूप से किसानों और कृषि जीवन से जुड़ा त्योहार है, क्योंकि यह सर्दियों के अंत और नई फसल के आगमन का प्रतीक है।
समय के साथ, लोहड़ी केवल एक फसल उत्सव ही नहीं, बल्कि अग्नि उपासना का पर्व भी बन गया, जो ऊर्जा, प्रकाश और गर्मी का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन अग्नि में अर्पित वस्तुएं सौभाग्य लाती हैं, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती हैं और जीवन में समृद्धि लाती हैं।
लोहड़ी के बाद ठंडक कम होने लगती है और दिन लंबे होने लगते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि वसंत ऋतु का आगमन होने वाला है। इस दिन लोग विशेष पकवान बनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ मिलकर इस त्योहार का आनंद उठाते हैं।
✨ लोहड़ी 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं! ✨


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