ISRO ने छोड़ा अपना नया रॉकेट SSLV-D3
8/16/2024
एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन की आईएसआरओ द्वारा आज, 16 अगस्त 2024 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। यह एसएसएलवी की तीसरी विकासात्मक उड़ान है और एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करती है। यह मिशन भारतीय उद्योग और एनएसआईएल द्वारा संचालन मिशनों को सक्षम बनाता है।
यहां एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- लॉन्च तिथि: 16 अगस्त 2024
- मिशन उद्देश्य: एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करता है
- परिणाम: भारतीय उद्योग और एनएसआईएल द्वारा संचालन मिशनों को सक्षम बनाता है
कृपया ध्यान दें कि उपलब्ध जानकारी सीमित है, और आईएसआरओ द्वारा मिशन के बारे में अधिक विवरण आने वाले दिनों में जारी किया जा सकता है।
SSLV-D3/EOS-08 मिशन के बारे में कुछ और जानकारी:
- लॉन्च वाहन: एसएसएलवी (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल)
- पेलोड: ईओएस-08 ( अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट)
- लॉन्च साइट: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर
- लॉन्च समय: 16 अगस्त 2024, सुबह 9:18 बजे
- उपग्रह का वज़न: लगभग 350 किलोग्राम
- उपग्रह का उद्देश्य: भूमि और जल संसाधनों की निगरानी करना
- उपग्रह की कक्षा: सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा
यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो छोटे उपग्रहों को कम लागत और कम समय में लॉन्च करने की क्षमता प्रदान करता है।
एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन का उद्देश्य:
ईओएस-08 उपग्रह का मुख्य उद्देश्य है:
- भूमि और जल संसाधनों की निगरानी करना
- कृषि और वनस्पति की निगरानी करना
- जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करना
- प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करना
- आपदा प्रबंधन में सहायता करना
इसके अलावा, एसएसएलवी लॉन्च वाहन का उद्देश्य है:
- छोटे उपग्रहों को कम लागत और कम समय में लॉन्च करना
- भारतीय उद्योग और एनएसआईएल द्वारा संचालन मिशनों को सक्षम बनाना
- अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में योगदान करना
यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो देश की विकास और विकास में योगदान करेगी।
SSLV-D3/EOS-08 मिशन को पूरा करने में लगने वाला समय:
- विकास समय: 2 साल (2022 से 2024 तक)
- लॉन्च तैयारी समय: 6 महीने (2024 की शुरुआत से अगस्त 2024 तक)
- लॉन्च और उपग्रह की कक्षा में पहुंचने का समय: 2 घंटे 15 मिनट (16 अगस्त 2024 को)
कुल मिलाकर, SSLV-D3/EOS-08 मिशन को पूरा करने में लगभग 2 साल और 6 महीने का समय लगा। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो देश की विकास और विकास में योगदान करेगी।
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