ISRO ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को 'dock' करने के लिए SpaDeX मिशन लॉन्च किया। यह क्यों महत्वपूर्ण है?

1/1/2025

इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को 'डॉक' करने के लिए SpaDeX मिशन लॉन्च किया। यह क्यों महत्वपूर्ण है
इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को 'डॉक' करने के लिए SpaDeX मिशन लॉन्च किया। यह क्यों महत्वपूर्ण है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार रात 10 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

यह इस साल का इसरो का अंतिम मिशन था, जिसे PSLV-C60 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया।

SpaDeX क्यों महत्वपूर्ण है?


SpaDeX मिशन के तहत इसरो अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को "डॉक" (यानी जोड़ना) करने की कोशिश करेगा। यह एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है जिसे अब तक केवल कुछ ही देशों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस मिशन में इसरो ने स्वदेशी तकनीक “भारतीय डॉकिंग सिस्टम” का उपयोग किया है।

  • यदि यह डॉकिंग सफल होती है, तो यह भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों, जैसे चंद्रयान-4, गगनयान और भारत के प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।

  • यह मिशन भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण और नवाचार के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल करेगा।

SpaDeX उपग्रहों को कैसे डॉक करेगा?


SpaDeX मिशन के तहत इसरो दो समान उपग्रहों, SDX01 और SDX02, को लॉन्च करेगा। इन उपग्रहों को क्रमशः "चेज़र" और "टारगेट" नाम दिया गया है।

  • प्रत्येक उपग्रह का वजन लगभग 220 किलोग्राम है, और ये पृथ्वी से 470 किमी ऊपर की कक्षा में परिक्रमा करेंगे।

  • इन उपग्रहों को 28,800 किमी/घंटा की गति से परिक्रमा करते हुए डॉक करने की चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसरो इन्हें सावधानीपूर्वक नियंत्रित करते हुए उनकी सापेक्ष गति को 0.036 किमी/घंटा तक कम करेगा और इन दोनों को अंतरिक्ष में एक इकाई के रूप में जोड़ देगा।

मिशन के अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं:
  • डॉकिंग के बाद पावर ट्रांसफर प्रणाली को मान्यता देना।

  • अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन का परीक्षण करना।

  • मिशन का कुल जीवनकाल दो वर्ष है।

डॉकिंग तकनीक के महत्व:

  • यह तकनीक बहु-लॉन्च मिशनों को सक्षम बनाती है।

  • मानव अंतरिक्ष यान अभियानों के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना प्रदान करती है।

इससे पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन ही इस तकनीक में सफलता प्राप्त कर सके हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा,
“इसरो की यह उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण और नवाचार के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल करेगी।”