Guru Ravidas Jayanti 2025: तिथि, समय, इतिहास, महत्व और उनकी 648वीं जयंती पर प्रेरणादायक उद्धरण
2/12/2025


गुरु रविदास जयंती 2025 गुरु रविदास की 648वीं जयंती को चिह्नित करती है, जो समानता, भक्ति और ज्ञान के उनके शिक्षाओं का उत्सव है।
जानिए इस पर्व से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
गुरु रविदास जयंती 2025: तिथि और समय
गुरु रविदास जयंती उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाई जाती है और इसे माघ पूर्णिमा, यानी माघ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण पर्व भारत सहित कई अन्य देशों में भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
इस वर्ष गुरु रविदास की 648वीं जयंती बुधवार, 12 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
द्रिक पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 फरवरी 2025 को शाम 6:55 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025 को शाम 7:22 बजे
गुरु रविदास जयंती का इतिहास
गुरु रविदास का जन्म 1377 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। उन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है। साधारण परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समानता और मानवाधिकारों की रक्षा में समर्पित किया। वे एक प्रसिद्ध संत और कवि थे, जिनकी वाणियाँ गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। उनकी रहस्यमयी भक्ति ने लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। संत मीरा बाई ने उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु माना था।
गुरु रविदास जयंती का महत्व
इस दिन श्रद्धालु गुरबाणी का पाठ करते हैं, विशेष प्रार्थनाएं करते हैं और नगर कीर्तन में भाग लेते हैं। वाराणसी के श्री गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर में विशेष भव्य आयोजन किया जाता है, जहां देशभर से भक्तगण पहुंचकर उनके विचारों और शिक्षाओं को नमन करते हैं। भक्तगण पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं और श्रद्धा भाव से पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
गुरु रविदास के प्रेरणादायक उद्धरण
"जिस प्रकार पानी और उसकी लहरों में कोई भेद नहीं होता, उसी प्रकार तुम और परमात्मा अलग नहीं हो।"
"सदैव प्रभु के सच्चे गीत गाओ, उनका नाम जपो और उनके भक्त बनो।"
"ईश्वर उन हृदयों में निवास करते हैं जो घृणा, लालच और द्वेष से मुक्त होते हैं।"
"भगवान में विश्वास रखो, वह हमें ज्ञान के प्रकाश से मार्ग दिखाते हैं और अज्ञान से दूर ले जाते हैं।"
"व्यक्ति अपनी जाति या पद से महान नहीं होता, बल्कि उसके गुण और कर्म ही उसकी महानता को तय करते हैं।"
"पुस्तकों का अध्ययन या खोखले शब्दों से प्रभु की प्राप्ति नहीं होती, केवल प्रेममयी भक्ति से ही उन्हें पाया जा सकता है।"
"हे प्रभु, आप सबके मित्र हैं, फिर ऊंच-नीच का भेदभाव क्यों?"
"जिसके पास प्रेम है, उसके पास सब कुछ है, और जिसके पास प्रेम नहीं है, उसके पास कुछ भी नहीं।"
"सभी प्राणी भगवान की नजर में समान हैं, फिर जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव क्यों?"
"मेरा प्रभु किसी एक रूप में सीमित नहीं है, तो मैं उसे मंदिर या मस्जिद में कैसे बांध सकता हूं?"
गुरु रविदास जी के विचार आज भी समाज को समानता, प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं। उनकी शिक्षाएं मानवता के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहेंगी।
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