Fed Meeting Today - Rate Cut - फेडरल रिजर्व की बैठक आज: ट्रेडर्स दर में कटौती के लिए तैयार,

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9/18/2024

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फेडरल रिजर्व की बैठक आज: ट्रेडर्स दर में कटौती के लिए तैयार, डॉट प्लॉट का इंतजार

फेडरल रिजर्व आज सालों बाद पहली बार ब्याज दरों में कटौती करने वाला है। लेकिन कटौती कितनी बड़ी होगी, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं। ट्रेडर्स दरों में कमी की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे बाजार में हलचल मची है। फेड के अधिकारी इस पर चर्चा करेंगे कि यह कटौती कितनी होनी चाहिए और आगे की योजनाओं का क्या खाका होगा।

डॉट प्लॉट भी इस बैठक का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा, जो यह दिखाएगा कि फेडरल रिजर्व के अधिकारी आगे ब्याज दरों पर क्या अनुमान लगा रहे हैं। ट्रेडर्स इसके आधार पर भविष्य की दरों की दिशा का अनुमान लगाने की कोशिश करेंगे।

फेडरल रिजर्व की इस बैठक का बाजार पर व्यापक असर होने की उम्मीद है। ब्याज दरों में कटौती से निवेशकों को राहत मिल सकती है, क्योंकि इससे लोन की लागत कम हो जाएगी और खर्च करने की क्षमता बढ़ सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कटौती अपेक्षा से कम हुई, तो बाजार में निराशा देखने को मिल सकती है।

इसके साथ ही, डॉट प्लॉट का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इससे यह पता चलेगा कि फेडरल रिजर्व के अधिकारी भविष्य में और कितनी कटौती या बढ़ोतरी करने की योजना बना रहे हैं। यह फेड की लंबी अवधि की नीति और अर्थव्यवस्था की स्थिति का एक संकेतक होगा।

इस बैठक से जुड़े फैसलों का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजार भी इस पर नजर बनाए हुए हैं।

फेडरल रिजर्व (Federal Reserve), जिसे आमतौर पर फेड कहा जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका का केंद्रीय बैंक है। इसकी स्थापना 1913 में की गई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना है। फेडरल रिजर्व का मुख्य कार्य आर्थिक नीतियों को लागू करना, ब्याज दरों को नियंत्रित करना, और देश की मुद्रा और बैंकिंग प्रणाली की निगरानी करना है। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:

1. मौद्रिक नीति: फेड ब्याज दरों को तय करके अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। इससे महंगाई (inflation) और बेरोजगारी को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

2. बैंकिंग सुपरविजन: फेडरल रिजर्व अमेरिकी बैंकों की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि बैंक सुरक्षित और प्रभावी तरीके से काम कर रहे हों।

3. वित्तीय स्थिरता: फेड देश की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करता है और आर्थिक संकट के दौरान बैंकों को मदद प्रदान करता है।

4. भुगतान प्रणाली: फेड यह सुनिश्चित करता है कि देश की भुगतान प्रणाली (जैसे चेक क्लीयरिंग, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान आदि) सुरक्षित और कुशल तरीके से काम करें।

फेडरल रिजर्व के द्वारा किए गए फैसलों का अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर जब यह ब्याज दरों को बढ़ाने या घटाने का फैसला करता है।

फेडरल रिजर्व के फैसले का केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। इसके कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:

# 1. अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर:

फेडरल रिजर्व जब ब्याज दरों में बदलाव करता है, तो इसका सीधा असर अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर पर पड़ता है। अगर फेड ब्याज दर बढ़ाता है, तो डॉलर की मांग बढ़ती है क्योंकि निवेशक उच्च रिटर्न के लिए अमेरिकी संपत्तियों में निवेश करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अन्य देशों की मुद्राएं कमजोर हो जाती हैं और वैश्विक व्यापार प्रभावित होता है।

# 2. वैश्विक निवेश:

फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें विदेशी निवेशकों को प्रभावित करती हैं। अगर अमेरिकी ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो वैश्विक निवेशक अमेरिकी बाजारों में निवेश को प्राथमिकता देते हैं, जिससे अन्य देशों में पूंजी का बहिर्वाह हो सकता है। इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

# 3. कमोडिटी की कीमतें:

अमेरिकी डॉलर की मजबूती से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कमोडिटी (जैसे कच्चा तेल, सोना) की कीमतें गिर सकती हैं। क्योंकि ये वस्तुएं आमतौर पर डॉलर में मूल्यांकित होती हैं, जब डॉलर मजबूत होता है तो अन्य मुद्राओं में इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे उनकी मांग पर असर पड़ता है।

# 4. वैश्विक व्यापार और विकास:

फेडरल रिजर्व की नीतियों का वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ता है। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी होती है या फेडरल रिजर्व दरों में कटौती करता है, तो इसका संकेत होता है कि अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। इससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है।

# 5. उधारी लागत:

फेडरल रिजर्व की दरों में बदलाव से वैश्विक बैंकों की उधारी लागत भी प्रभावित होती है। जब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो दुनिया भर के अन्य देशों में भी उधारी महंगी हो जाती है, जिससे कंपनियों और सरकारों के लिए कर्ज लेना महंगा हो सकता है।

इस तरह फेडरल रिजर्व के फैसले सीधे तौर पर विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं, खासकर उन देशों को जो अमेरिकी डॉलर या अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रणाली से गहरे जुड़े हैं।