'जीवन बहुत कठिन हो गया है': Mohammed Shami ने टीम इंडिया में वापसी के इंतजार पर तोड़ी चुप्पी
1/12/2025


मोहम्मद शमी ने अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बात की, क्योंकि उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी का इंतजार जारी है।
हाल ही में समाप्त हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत को मोहम्मद शमी की कमी साफ महसूस हुई, और फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी चैंपियंस ट्रॉफी में ऐसा न हो। वहीं, शमी के लिए भी यह दौर बेहद मुश्किल रहा है, क्योंकि वह लंबे समय से क्रिकेट खेलने और भारतीय जर्सी पहनने से दूर हैं।
शमी ने आनंदबाजार पत्रिका से बातचीत में कहा, "एक खिलाड़ी के लिए खेलना ही सबकुछ होता है। मेरे लिए गेंद ही मेरी ज़िंदगी है। अगर मैं गेंद को हाथ में नहीं ले सकता, तो मैं उस ज़िंदगी का आनंद कैसे ले सकता हूं? जीवन बहुत कठिन हो गया है, बस यही कह सकता हूं।"
घरेलू क्रिकेट में वापसी, लेकिन टीम इंडिया से दूर
शमी ने पिछले कुछ महीनों में बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट के अलग-अलग प्रारूपों में हिस्सा लिया। उनका भारतीय टीम में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चयन हुआ था, लेकिन घुटने में सूजन के कारण वह टीम से नहीं जुड़ सके और आखिरकार पूरी सीरीज़ से बाहर हो गए। इस सीरीज़ में भारत को 3-1 से हार का सामना करना पड़ा।
‘एनसीए में भारतीय जर्सी को देखकर करता था खुद को प्रेरित’
शमी ने विजय हजारे ट्रॉफी में बंगाल की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया और हरियाणा के खिलाफ एक नॉकआउट मैच में तीन विकेट चटकाए। उन्होंने अपनी वापसी को लेकर कहा, "मैंने हमेशा सोचा कि अगर मुझे दोबारा खेलना है, तो पूरी ईमानदारी के साथ खेलूंगा। मैंने हमेशा खेल के प्रति ईमानदार रहने की कोशिश की है। मेरे काम में कभी भी कमी नहीं आनी चाहिए, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।"
34 वर्षीय मोहम्मद शमी ने कहा कि नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA), बेंगलुरु में रिहैबिलिटेशन के दौरान उनके लिए भारतीय जर्सी ही सबसे बड़ी प्रेरणा थी।
उन्होंने कहा, "देश के लिए खेलने से बड़ा मोटिवेशन और क्या हो सकता है? मुझे कभी किसी और चीज़ की ज़रूरत नहीं पड़ी। जब मैं बेंगलुरु की नेशनल अकादमी में रिहैब कर रहा था, तब बस भारतीय जर्सी को देखता था। मुझे खुद को प्रेरित करने के लिए और कुछ नहीं चाहिए था।"
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