Kerla Land Slide - वायनाड में भूमि धंसने और भूस्खलन से भारी तबाही

7/30/2024

वायनाड, केरल भूस्खलन

वायनाड के जिला मृदा संरक्षण कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, जिले में इस वर्ष अब तक 242 भूमि धंसने और भूस्खलन के मामले सामने आए हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने जिले के कई इलाकों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।

घटना का विवरण

वायनाड में भूमि धंसने और भूस्खलन की घटनाओं ने चार गाँवों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। इन घटनाओं में 106 लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। मुख्य रूप से प्रभावित गाँवों में मीनांगडी, मुथंगा, वेल्लमंडा और पंथालूर शामिल हैं।

प्रभावित लोग

इन घटनाओं के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं और उन्हें अस्थायी राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। कई परिवार अपने प्रियजनों को खो चुके हैं और उनकी संपत्ति भी पूरी तरह नष्ट हो गई है। प्रभावित लोग तत्काल राहत और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

स्थानीय प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिए हैं।

  • राहत शिविर: प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां उन्हें भोजन, पानी, और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

  • राहत पैकेज: राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता और पुनर्वास की घोषणा की है।

  • सड़क मरम्मत: सड़कों और पुलों की मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर शुरू कर दिया गया है ताकि प्रभावित क्षेत्रों में आवागमन सुचारू हो सके।

  • तलाशी और बचाव अभियान: राहत और बचाव दल मलबे में फंसे लोगों की तलाश और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के काम में जुटे हुए हैं।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि वायनाड की भूगर्भीय संरचना और अत्यधिक बारिश के कारण इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने भूमि धंसने और भूस्खलन के जोखिम को कम करने के लिए विस्तृत भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

दीर्घकालिक उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि वायनाड में भूमि धंसने और भूस्खलन की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए निम्नलिखित दीर्घकालिक उपाय आवश्यक हैं:

  • वन पुनर्वास: वनों की कटाई रोकने और वन क्षेत्र का पुनर्वास करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

  • जल निकासी प्रणाली: जलभराव की समस्या को हल करने के लिए प्रभावी जल निकासी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

  • भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए नियमित भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किए जाने चाहिए।

  • सामुदायिक प्रशिक्षण: स्थानीय समुदायों को भूस्खलन और भूमि धंसने के खतरों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

वायनाड में भूमि धंसने और भूस्खलन की घटनाओं ने जिले में गहरी चिंता और दुख की स्थिति उत्पन्न कर दी है। हालांकि, प्रशासन और विशेषज्ञों के प्रयासों से इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों को सतर्क रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके

Images Source - Janta se Rishta, Business standard Hindi